अब मुझे देखो (या शरीर बदला)

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Ab mujhe dekho (ya sharir badla)

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के बारे में

Observational poem written in first person. A broken man finds solace in his physical looks and new profession resulting from them.

द्वारा प्रकाशित astrosleuth
7 वर्षो पूर्व
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