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Ek najriya
8 वर्षो पूर्व
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भारतीय-अमेरिकी पत्रकार, स्तंभकार, जिनके नाम का मैं इस संदर्भ में उल्लेख नहीं करता, ने 1977 में इस लेख की ओर बहुत ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा, ‘द राइज़ ऑफ ए लिबरल डेमोक्रेसी, जिसमें उन्होंने इस तथ्य पर चिंता व्यक्त की कि एक उदार लोकतंत्र दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बढ़ रहा है और अच्छा कर रहा है.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र स्वत: स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देता है. इसके विपरीत, इसका इस्तेमाल स्वतंत्रता को हटाने के लिए किया जा सकता है.